How to do Ardha Matsyendrasana (अर्ध मत्स्येन्द्रासन) (Half Lord of the Fishes Pose) steps and benefits in Hindi

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How to do Ardha Matsyendrasana (अर्ध मत्स्येन्द्रासन) (Half Lord of the Fishes Pose) steps and benefits in Hindi
How to do Ardha Matsyendrasana (अर्ध मत्स्येन्द्रासन) (Half Lord of the Fishes Pose) steps and benefits in Hindi

How to do Ardha Matsyendrasana (अर्ध मत्स्येन्द्रासन) (Half Lord of the Fishes Pose) steps and benefits in Hindi: अर्ध मत्स्येन्द्रासन का नाम प्रसिद्ध योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर रखा गया है। यह मुद्रा हठ योग में सबसे लोकप्रिय बैठे घुमा पोज़ के साथ-साथ पसंदीदा ध्यान मुद्रा और सबसे महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। इसे हाफ लॉर्ड ऑफ द फिश पोज, हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोज, या वक्रासन (जिसका अर्थ है ट्विस्ट) के रूप में जाना जाता है जो उन्नत स्तर के मत्स्येंद्रसन का एक रूपांतर है।

मत्स्येन्द्रासन एक कठिन आसन है, इसलिए इसे सरल बनाकर इस रूप में परिवर्तित किया गया है। इसलिए इसे “अर्धमत्स्येन्द्रासन” कहा जाता है।

यह आसन बाहरी कूल्हों के लिए एक जमीनी खिंचाव है। इसके अलावा, आपकी रीढ़ की हड्डी भी अपनी पूरी लंबाई में दो तरफ मोड़ लेती है। हालांकि इसका अभ्यास करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन अगर आप इसे व्यवस्थित रूप से करते हैं, तो कुछ ही दिनों में आप इस आसन में महारत हासिल कर सकते हैं।

“अर्ध मत्स्येन्द्रासन योगासन ” का अर्थ (Meaning of Half Spinal Twist Pose in Hindi)

आइए अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अर्थ समझते हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन नाम संस्कृत भाषा से आया है यहाँ ‘अर्ध’ का अर्थ है ‘आधा’, ‘मत्स्य’ का अर्थ है ‘मछली’, ‘इंद्र’ का अर्थ ‘राजा’ और ‘आसन’ का अर्थ है ‘योग मुद्रा’।

इस आसन का एक और नाम वक्रासन है जो संस्कृत भाषा से आया है यहाँ ‘वक्र’ का अर्थ है मुड़ा हुआ और आसन का अर्थ है मुद्रा। इसलिए इस आसन को स्पाइनल ट्विस्ट पोज कहा जाता है। यह स्पाइनल ट्विस्ट पोज़ एक बैठा हुआ स्पाइनल ट्विस्ट है और इसमें बहुत सारी विविधताएँ हैं।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन कैसे करें (How to do Half Spinal Twist Pose in Hindi)

  • यह आसन थोड़ा जटिल है, इसलिए इसे करने के सही तरीकों के बारे में जानकर सबसे पहले अभ्यास शुरू करना चाहिए।
  • सीट पर दोनों पैरों को फैलाकर या दंडासन योग मुद्रा में बैठ जाएं।
  • बाएं पैर को घुटने से मोड़ें और एड़ी को गुदा के नीचे रखें। पैर के तलवे को दाहिनी जांघ से लगाएं।
  • अब दाहिने पैर को घुटने पर मोड़कर खड़े हो जाएं और बाएं पैर की जांघ के ऊपर ले जाते हुए जांघ के पिछले हिस्से को जमीन से ऊपर रखें।
  • अब बाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें यानी घुटने को बगल की तरफ दबाते हुए बाएं हाथ को सीधा खड़ा कर लें।
  • धड़ को दायीं ओर मोड़ें ताकि बाएं कंधे का दबाव दाहिने पैर के घुटने के ऊपर ठीक से रखा जा सके।
  • अब दाहिने हाथ को दाहिने कूल्हे के पास जमीन पर दबा कर रखें।
  • इसके बाद सिर को दायीं ओर मोड़ें ताकि ठुड्डी और बायां कंधा एक सीधी रेखा में आ जाएं। छाती को टाइट रखें। झुकना मत।
  • अंत में मन को नाभि के पीछे स्थित मणिपुर चक्र में स्थिर करें।
  • अब इसी तरह दूसरी तरफ से दोहराएं।
  • इस आसन को शुरुआत में पांच सेकेंड तक करें। फिर अभ्यास को बढ़ाकर एक मिनट तक कर सकते है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ (Benefits of Half Spinal Twist Pose in Hindi)

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन से रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने से यौवन की ऊर्जा बनी रहती है।
  • रीढ़ की हड्डियों के साथ-साथ इनसे निकलने वाली नसों को भी अच्छी कसरत मिलती है।
  • यह आसन कंधे को अधिक लचीला बनाता है। और शोल्डर ट्विस्ट हमारी भावनाओं और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए आवश्यक हैं।
  • यह विशेष रूप से नाभि चक्र या मणिपुर चक्र को उत्तेजित करता है। और इस प्रकार, मधुमेह से पीड़ित लोगों की मदद करता है।
  • पेट के विभिन्न हिस्सों को भी फायदा होता है। पीठ, पेट, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि के नीचे और छाती की नसों को अच्छा खिंचाव मिलता है, इसका उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  • ट्विस्ट पोज के नियमित अभ्यास से कमर, कमर दर्द और जोड़ों का दर्द जल्दी दूर हो जाता है।
  • यह रीढ़ के साथ-साथ जोड़ों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पैर, हाथ और कमर के जोड़ स्वस्थ और मजबूत बनते हैं।
  • हाफ स्पाइनल ट्विस्ट योगासन न केवल तंत्रिका विकारों को ठीक करने में मदद करता है बल्कि अपच में भी मदद करता है। नतीजतन, बंधन हटा दिया जाता है। जठरशोथ तीव्र है।
  • यह आसन आपके शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, रक्त को शुद्ध करता है और शरीर के सभी अंगों में रक्त की आपूर्ति भी करता है।
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से सोलर प्लेक्सस और विशुद्ध चक्र सक्रिय होता है, जिसके परिणामस्वरूप फेफड़ों और छाती के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन और रक्त परिसंचरण में वृद्धि होती है। जिससे गले या सांस के रोग ठीक होने लगते हैं।
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन का रोजाना अभ्यास करने से एब्स मजबूत होते हैं और यह आसन उन्हें टोन करने का भी काम करता है। इसके अलावा मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
  • यह आसन विकृत यकृत, तिल्ली और निष्क्रिय गुर्दे के लिए लाभदायक है।
  • मासिक धर्म की समस्या, थकान या शरीर में दर्द की समस्या वाली महिलाओं के लिए यह योगासन ज्यादा फायदेमंद होता है।
  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन न केवल स्लिप डिस्क बल्कि साइटिका के दर्द को भी ठीक करने में मदद करता है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करते समय ध्यान दिए जाने वाली सावधानियां (Precautions while doing Half Spinal Twist Pose in Hindi)

  • पेट में मरोड़ के कारण गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान इस आसन से बचना चाहिए।
  • यदि मेजर स्लिप डिस्क की समस्या हो।
  • हाइपरथायरायडिज्म की स्थिति में इस आसन से बचना चाहिए।
  • गंभीर पीठ दर्द हो या रीढ़ की हड्डी में चोट हो तोह इस आसन को न करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन अन्य आसनों की तरह बहुत आसान नहीं है, इसलिए योग में शुरुआती इस आसन का अभ्यास किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
  • लेकिन कुछ दिनों के अभ्यास के बाद इस आसन को करना काफी आसान हो जाता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद है।

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