How to Do Surya Bhedana Pranayama | Right Nostril Breathing (सूर्य भेदन प्राणायाम)

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How to Do Surya Bhedana Pranayama | Right Nostril Breathing (सूर्य भेदन प्राणायाम)

How to Do Surya Bhedana Pranayama | Right Nostril Breathing (सूर्य भेदन प्राणायाम)How to Do Surya Bhedana Pranayama | Right Nostril Breathing (सूर्य भेदन प्राणायाम)
How to Do Surya Bhedana Pranayama | Right Nostril Breathing (सूर्य भेदन प्राणायाम)
  • सांस लेने के लिए हमारे पास दो नासिका होते हैं।हठ योग में, इन्हे नाडी कहा जाता है, जिसमें दाहिने (सीधी)नासिका को सूर्य नाड़ी कहा जाता है, और बाएं(उलटी) नासिका को चंद्र नाडी खा जाता है। दाहिनी नासिका सूर्य नाड़ी से जुड़ी मानी जाती है, जिसे सूर्य स्वर या पिंगला नाड़ी कहा जाता है, इसके बाद इसका नाम सूर्य भेदन प्राणायाम पड़ा।
  • सूर्य भेदन प्राणायाम एक सरल और सांस तकनीक है जो।

सूर्य भेदन प्राणायाम क्या है?

  • भेदन कुम्भक प्राणायाम एक श्वास तकनीक है, जो आठ महाकुंभों में से एक है। जहां सूर्य का अर्थ सूर्य या पिंगला होता है। और “भेदना” शब्द का अर्थ किसी चीज में छेद करना या प्रवेश करना या तोड़ना होता है।
  • सूर्यभेदी प्राणायाम में सांस को नाक के दाहिने(सीधे) छिद्र से लिया जाता है। नाक के दाहिने छिद्र को सूर्य स्वर तथा बाएँ छिद्र को चन्द्र स्वर कहते हैं।
  • दाहिने छिद्र से श्वास अंदर लेने की प्रक्रिया में पिंगला नाड़ी यानी सूर्य नाड़ी से ऊर्जा प्रवाहित होती है। बाएं छिद्र से सांस छोड़ते हुए, ऊर्जा इड़ा नाड़ी या चंद्र नाडी से प्रवाहित होती है।

सूर्य भेदन प्राणायाम करने के तरिके (How to do Right Nostril Breathing in Hindi):-

  • एक शांत वातावरण का चयन करके मैट पर बैठ(सुखासन,सिद्धासन,पद्मासन)जाएँ |
  • जिन लोगों को जमीन पर बैठना मुश्किल होता है, वे कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
  • रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठें।
  • अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। अब अपने मन की सारी चिंताओं को भूल जाओ। कमर सीधी रखें और दोनों आंखें बंद कर लें।
  • खुद पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें।
  • दाहिने (सीधे) हाथ से विष्णु मुद्रा {इस मुद्रा में तर्जनी और मध्यमा दोनों को अंगूठे की जड़ से छूना होता है। इसके अलावा बाकी उंगलियां सीधी होती हैं} बनाएं।
  • बायें(उलटे) हाथ से ज्ञान मुद्रा बनायें और घुटनो के ऊपर रख दें।
  • इस प्राणायाम में केवल दाहिनी(सीधी) नासिका से ही सांस ली जाती है और बाएँ(उलटी) नासिका से ही साँस छोड़ी जाती है। अंगूठे का उपयोग दाएं नथुने को बंद करने के लिए किया जाता है और अनामिका ऊँगली का उपयोग बाएं नथुने को बंद करने के लिए किया जाता है।
  • आप एक नासिका से 4 सेकंड के लिए साँस लेते हैं, तो दूसरे नासिका से साँस छोड़ना भी 4 सेकंड के लिए होना चाहिए। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, तो 4 सेकंड में सांस को भरे,एंव 8 सेकंड में सांस को छोड़े।
  • शुरुआत में इस क्रिया को 5 से 10 बार तक दोहराएं |

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सूर्य भेदन प्राणायाम से मिलने वाले लाभ (Benefits of Right Nostril Breathing in Hindi) :-

  • सूर्य भेदन प्राणायाम शरीर और शारीरिक क्रियाओं को सक्रिय करता है।
  • इस प्राणायाम से पाचन अग्नि तेज होती है।
  • यह रक्त में ऑक्सीजन की कमी से होने वाले सभी रोगों को नष्ट कर देता है।
  • हठ योग कहता है कि सूर्य भेदन प्राणायाम ललाट साइनस को साफ करता है, वात के विकारों को नष्ट करता है और आंतों के कीड़ों को नष्ट करता है।
  • पिंगला नाडी को सक्रिय करके प्राणिक ऊर्जा को सक्रिय और उत्तेजित करता है।
  • यह सुस्ती और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है।
  • शरीर में ताजा ऊर्जा लाता है जिससे व्यक्ति शारीरिक गतिविधियों को अधिक कुशलता से कर सकता है।
  • महिलाओं में निम्न रक्तचाप और बांझपन के इलाज में सहायक होती है।
  • यह शरीर के तापमान को बढ़ाता है, इस प्रकार कफ (बलगम) असंतुलन को दूर करता है।
  • मोटापे में बहुत कारगर है। दाहिनी नासिका श्वास का नियमित अभ्यास वजन घटाने में सहायक होता है।
  • यह चिंता, डिप्रेशन और अन्य मानसिक बीमारियों को कम करने में मदद करता है।
  • इड़ा और पिंगला को संतुलित करने में मदद करती है , जिससे आध्यात्मिक जागृति हो सकती है।

सूर्य भेदन प्राणायम करते समय बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions While Doing Right Nostril Breathing in Hindi):-

  • इस प्राणायाम का अभ्यास हमेशा खाली पेट करें।
  • दाहिनी नासिका श्वास में, दाहिनी नासिका से श्वास लें और बायीं ओर से श्वास छोड़ें।
  • इसका अभ्यास सुबह या शाम या दोनों समय करना चाहिए। यदि आपके पास सुबह या शाम का समय नहीं है, तो आप इसे अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं।
  • खाना खाने के 4-5 घंटे बाद सूर्य भेदन प्राणायाम का अभ्यास करें।
  • अगर आपको थोड़ी सी भी बेचैनी महसूस होती है तो आप सांस को सामान्य रूप से लें।
  • हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या मिर्गी से पीड़ित लोगों को इस प्राणायाम से बचना चाहिए।
  • जिन लोगों की मस्तिष्क की सर्जरी, हृदय की सर्जरी या पेट की सर्जरी हुई है, उन्हें इस प्राणायाम को करने से पहले चिकित्सा विशेषज्ञ या सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए।
  • यह प्राणायाम आपके शरीर की गर्मी को बढ़ाता है इसलिए बुखार होने पर इसे नहीं करना चाहिए।

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