Yoga Poses For Thyroid Problem in Hindi | Yoga Asanas For Treatment of Thyroid Problem: गले में एक छोटी ग्रंथि होती है जो थायरॉयड हार्मोन कहलाती है। इस हार्मोन के कारण व्यक्ति के शरीर का तापमान और शरीर में होएं वाली वृद्धि को प्रभावित करती हैं। बच्चे के मस्तिष्क के विकास पर भी प्रभाव डालती हैं।
जब व्यक्ति को थायरॉयड की समस्या होती है, तो यह उसके शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
शरीर में तनाव भी थायराइड का कारण हो सकता है ।
थायरॉयड को प्रभावित करने वाली दो तरह की स्तिथि होती है :-
(i)हाइपरथायरायडिज्म
(ii)हाइपोथायरायडिज्म
हाइपरथायरायडिज्म:-यह थायराइड अधिक मात्रा में जब बढ़ता है जब थायराइड इस हार्मोन का उत्पादन करता है। हाइपरथायरायडिज्म होने की वजह से ग्रेव्स रोग (इम्यून सिस्टम का बिगड़ना )हो सकता है।
हाइपोथायरायडिज्म:-यह थायराइड अधिक मात्रा में जब कम होता है जब थायराइड इस हार्मोन का उत्पादन करता है। यह ऑटोइम्यून रोग (इम्यून सिस्टम का हमारे शरीर के खिलाफ हो जाना)के कारण होता है जो थायरॉयड को नुकसान पहुंचाता है।
योग गले पर ध्यान केंद्रित करता है।गले में संचलन में सुधार करता है, साथ ही साथ थायरॉयड को ठीक व गर्दन को मजबूत करने में मदद करता है।
नीचे दिए गए योगा पोज़ को घर पर कोशिश कर सकते हो:-
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सर्वांगासनSarvangasana (Shoulder Stand)
इस आसन के द्वारा ब्लड सर्कुलेशन को गले तक पहुंचाने में मदद मिलती है। यह हाइपोथायराइड की समस्या के लिए फायदेमंद है।
कैसे करें:-
- अपनी पीठ के बल लेट जाएँ।
- सबसे पहले हाथों को कूल्हों क निचे ले जाए फिर धीरे धीरे से सपोर्ट देते हुए हाथों को कमर की तरफ ले जाएँ और कमर पैरों के पंजों को आसमान की तरफ ले जाएँ |
- सांस बाहर निकालते हुए कंधों पर जोर देते हुए अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाएं।
- पेट को अंदर खींचकर रखें।
- अपनी क्षमता अनुसार इसी अवस्था में रुकें |
नोट: यदि सर्वांगासन को सही तरीके से नहीं किया तो ये गर्दन को नुकसान पहुंचा सकता है। जो लोग ग्रेव्स रोग से पीड़ित है वो इसे न करें। हाइपरथायरायडिज्म वाले लोग इस आसन को कर सकते हैं क्योंकि यह थायराइड के फंक्शन को बढ़ाता है।
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विपरीत करनी Viparita karani (Inverted Pose)
यह एक प्रकार की (विपरीत)उलटी मुद्रा है। Viparita Karani ग्रंथियों में रक्त के बहाव में सुधार करके हाइपोथायरायडिज्म को कम करने में सहायक होता है।यह मन का पुनर्जन्म करने का काम करता है, थकान को मिटाता है और अनिद्रा के रोग को ठीक करता है।
कैसे करें:-
- अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं|
- कोहनी को जमीन पर रखें।
- कूल्हों को हाथों से सहारा दें और धीरे-धीरे पैरों को ऊपर की ओर ले जाएँ।
- गर्दन को स्ट्रेच करें और गर्दन से कूल्हों तक एक सीधी रेखा बनाए |
- इस आसन को आप दीवार के सहारे भी कर सकते है |
- अपनी क्षमता अनुसार इस स्तिथि में रुकें फिर वापिस पहली स्तिथि में आ जाएँ |
नोट: यह मुद्रा हाइपरथायरायडिज्म के लिए सहयक नहीं है और जिनका थायराइड अधिक रहता है वह इस आसन को न करें |
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हलासन Halasana (Plough Pose)
यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है,पेट की मांसपेशियों को मजबूती देता है जिससे पाचन तंत्र की की क्षमता बढ़ती है |
कैसे करें:-
- पीठ के बल लेट जाएँ |
- सर्वांगासन की स्तिथि में रहकर और इस आसन को किया जा सकता है |
- कूल्हों और कमर को सहारा देते हुए पैरों को सर से ऊपर की तरफ ले जाएंगे और ज़मीन को स्पर्श करेंगें |
- हाथों को कमर से नीचे ज़मीन पर भी रख सकते है या कमर के पीछे हथेलियों से सहारा भी दे सकते है |
- क्षमता अनुसार आसन में रुकें |
नोट: ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
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मत्स्यासनMatsyasana (Fish Pose)
इस आसन को रोजना करने से आप की रीढ़ की हड्डी लचीलापन आता है |
कैसे करें:-
- पीठ के सहारे लेट जाएँ |
- हाथों को कूल्हों क निचे रख लें |
- अब अपने शरीर ऊपर के हिस्से को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ करे |
- अब धीरे-धीरे कोहनी की हेल्प से छाती को ऊपर उठाएं और सर को भी पीछे के तरफ कर सर के बल आ जाए |
- समान रूप से सांस लेते हुए आसन में अपनी क्षमता अनुसार रुकें |
नोट: मत्स्यासन को सर्वांगासन के तुरंत बाद किया जाना चाहिए। यदि आपको उच्च रक्तचाप है , स्पॉन्डिलाइटिस या माइग्रेन है तो इस आसन को न करें ।
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धनुरासन Dhanurasana (Bow Pose)
यह आसन थायरॉयड ग्रंथि की मालिश करने में मदद करता है। यह हाइपोथायरायडिज्म को ठीक करने में सहायक है। यह आसन मासिक धर्म के समय दर्द को दूर करने, पीठ को मजबूत बनाने और तनावमुक्त करने में सहायक है।
कैसे करें:-
- पेट के सहारे लेट जाएं।
- अपने पैरों को उठाएं |अपनी पैरों को कूल्हों की तरफ लाएं |
- हाथों से पैरों की उँगलियों या टकनों को पकड़े |
- पैरों को तानते हुए ऊपर की तरफ लें जाएँ |
- एक धनुष का आकार आ जाएँ |
- कुछ समय इस मुद्रा में रुकें |
नोट: इस आसन को हर्निया वाले लोगन करें। गर्भवती महिलाएं भी इस आसन का अभ्यास न करें।
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सेतुबंधासन Setu Bandhasana (Bridge Pose)
इस आसन द्वारा थायराइड हार्मोन को नियमित करने का एक शानदार तरीका है। यह आसन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है।यह हाइपरथायरॉइड को नियंत्रित करता है|
कैसे करें:-
- अपनी पीठ के बल लेट जाएं|
- पैरों को धीरे-धीरे मोड़ें। अपनी एड़ी को छूने का प्रयास करें।
- शरीर को ऊपर कमर से ऊपर आस्मां की तरफ उठाएं ,कंधे, सर, एड़ियां ज़मीन से स्पर्श करेंगें ।
- एक पुल की मुद्रा बन जायेगी |
- नियमित रूप से साँसों को लेते हुए इस अवस्था में रुकें |
नोट: गर्भवती महिलाएं ये आसन न करें।अल्सर और हर्निया रोग वाले भी आसन को न करें।
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भुजंगासन Bhujanagasana (Cobra Pose)
कोबरा मुद्रा या भुजंगासन गर्दन और गले को फैलाने में मदद करता है। यह हार्मोन का उत्पादन बढ़ाता है और हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों की मदद करता है। इस आसन को रोजाना करने से आप की पुराणी कमर का दर्द ठीक हो जाएगा |
कैसे करें:-
- पेट क सहारे लेट जाएँ|
- पैर आपस में मिले हुए हो|
- हाथों को छाती के बराबर में रखें|
- साँसों को भरते हुए सर, छाती को नाभि तक उठाएंगें |
- नज़रें आसमान की तरफ रहेंगी |
- अपनी क्षमता अनुसार इस अवस्था में ठहरें|
नोट: यदि आपके पेट की सर्जरी हुई हैं या हर्निया और अल्सर से पीड़ित हैं तो इस आसन को करने से बचें।
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नौकासन (Boat Pose)
यह आसन थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करने में मदद करता है और हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों की मदद करता हैं। इस आसन को रोजाना करने से आप कोर मजबूत हो जायेगा ।
कैसे करें:-
- सबसे पहले पैट के बल लेट जाओ |
- अब हाथों को जाँघों के ऊपर रखें ले |
- साँसों को भरते हुए आगे से अपने सर और धड़ को उठाये |
- अपने हाथ अपने समक्ष रखें |
- एक नाव की आकृति बना लो |
- 20 से 30 सेकंड तक इसे पोजीशन में रहे |
नोट: गर्भवती महिलाए इस आसन को न करे | पेट दर्द होने पर भी इस आसन को न करे । यदि किसी का हॉल ही में कोई पोरेशन हुआ हो तो वो भी इस आसन को ना करे
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उज्जायी प्राणायाम Ujjayi Pranayama (Ocean Breath)
थायरॉयड ग्रंथियों में हार्मोन उत्पादन को नियंत्रण करता है।यह हाइपोथायरायडिज्म के रोग के लिए सहायक है। उज्जायी प्राणायाम अंतर्निहित संरचना के लिए अति उत्तम अभ्यास हैं।
कैसे करें :-
- बैठ जाएँ (सुखासन, पद्मासन, सिद्धासन) किसी भी आसन में |
- दोनों नॉस्ट्रिल का उपयोग करते हुए साँसों को भरें |
- जालंधर बंध लगा सकते हैं |
- साँसों को छोरड़ते हुए एक हम्म्म की आवाज़ निकाले मुख बंद रहेगा |
- १ से १० बार तक इस अभ्यास को करें |
नोट: प्राणायाम का अभ्यास सभी किसी भी स्थिति में कर सकते हैं।
ध्यान दें (Attention):-
- योग और प्राणायाम मानसिक स्तिथि को सुधारने और शरीर में ऊर्जा जगाने में मदद करते हैं।
- कई बीमारियों के लक्षणों को दूर करने में सहायक होता है।
- ज़्यादा दिक्कत होने पर अपने चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें।
- कोई भी अभ्यास अपनी क्षमता के खिलाफ न करें |
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